लालीगुरांश (सिर्जना भण्डारी)
सिर्फ पसन्द आयाहोता तो
आसानीसे भूल सक्तिथी तुम्हे
सिर्फ आकर्षण हुवाहोता तो
रास्तेमे छोड सक्तिथी तुम्हे
सिर्फ प्यार कियाहोता तो
देरसबेर मोह छुटजाता तुम्से
बात थोडी आगे पहुंचगइ
अवतो आदत होचुकीहे तुम्हारी
प्रेमके सागरमे डुवोचुके हो
निकल्नेका रास्ता नजरही नहींआता
करुँ क्या, रहुँ कैसे
तुम्हारेबिना दिलही नहींलगता पलभर
तुम्हे पाना मुकद्दरमे नहीं
तुम्हे खोना मुम्किनही नहीं
सपनोंमे आतेहो, तस्वीरमें रहेतेहो
कभि सपनोंसे हकीकतमे नहींआते
कभि तस्वीरसे वाहर नहींआते
फिरभी दिलमे आश लगीरहेतीहे
किसिदिन वाहर आवोगे तुम
किसिदिन हकिकतमे मिलोगे तुम
यिसी तमन्नामे जीन्दगी चलरहीहे
अवतो सिर्फ तुम्हारा इन्तजारहे
हाँ,
मुझे सिर्फ तुम्हारा इन्तजारहे
हाँ, 
मुझे सिर्फ तुम्हारा इन्तजारहे... !! 
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