Tuesday, 25 February 2025

जहाँ सिर्फ प्यारका अमृत हो

                        लालीगुरांश  (सिर्जना भण्डारी)

दिलमे तुमसे इतना प्यार क्यूं ?
कभि में बता नहिंपाउगीं
कितना ? एभि मत पुछो कभि
एभि कभि में बता नहिंसकुगीं
बेसुमार प्यार है तो है ।।
तुमको नजरोंमे रखलिया हमेसाके लिए
तुमको जिगरमे छुपालिया अपने लिए
खुद में हुई शिकार क्यूं ?
एभि कभि में बता नहिंपाउगीं
जो है हमारेविच अच्छा हुवा
लेकिन क्यूं, कैसे अच्छा है
कभि में बता नहिंसकगीं
वातें बतानेकी र्हछि नहिं
एतो चुपचुपके अन्दर सम्हाल्नेकी है
तुमभि बतियाओ मत, चुप रहेजावो
मौसम चुप रहेनेकी चलरही है
सारी दुषित हवाओंको बहे जानेदो
सारी अंध्यारी छाओंको हट जानेदो
मजबुर हालात है चुप रहेजाओ
सबकुछ चुपचाप सहेना है अभि
काले वादल छट जानेदो सभि
हालात है चुपचाप रहेनाका अभि
प्रभुके राहोंमे प्रकाशही प्रकाश है
सदा उन्हीके राहोंमे चल्नाहे हमे
सदा उन्हीपर समर्पित रहेनाहे हमे
उन्होने मिलाया, उन्होनेही अलग किया
उन्हीको फिर एकदुसरेसे मिलानाहे हमे
उन्हीकी प्रकाशसे भरि दिव्य दुनियामे
जहां सिर्फ प्यारही प्यार हो
जहा सिर्फ अमृतका वर्षात हो

जहां सिर्फ प्यारही प्यार हो
जहा सिर्फ अमृतका वर्षात हो ।।

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