Saturday, 11 January 2025

प्यास बढ्तीजाती है !

                       लालीगुरांश  (सिर्जना भण्डारी)


जितना देखलु तुम्हारा चांदसा चेहरा
प्यारसे देखनेकी तरस बढ्तीजाती है

जितना सुनलुं तुम्हारा मधूर वाणी
नजदिकीसे सुन्नेकी अकांक्षा बढ्तीजाती है

जितना महसुस करलुं तुम्हारा छुवा
पास होनेकी तमन्ना बढ्तीजाती है

जितना पाश आतेहो तुम बारबार
तुम्हे पानेकी प्यास बढ्तीजाती है

जितना सुनु तुम्हारी दिलकी धड्कन
उनमे छिपजानेकी ख्वाइस बढ्तीजाती है

जितना गुनगुनाउं तुम्हे प्रेमकी रागमे
प्रीतमे डुबजानेकी खयाल बढ्तीजाती है

जितना छुलुं नजरसे तुम्हारी नजरोंको
उनमे खोजानेकी कामना बढ्तीजाती है

जितना रंग बिखरताहै तुम्हारी पल्के
दिदार करनेकी दिवान्गी बढ्तीजाती है

जितना समय देतेहो तुम मेरेलिए
उनपलमे रम्नेकी ख्वाइस बढ्तीजाती है

जितना सुगन्ध छरतीहै तुम्हारी अदाएं
गौरसे निहार्नेकी तमन्ना बढ्तीजाती है

जितना सुगन्ध छरतीहै तुम्हारी अदाएं
गौरसे निहार्नेकी तमन्ना बढ्तीजाती है ।।

No comments:

Post a Comment

चुपचाप लय मिलाइरहेछ प्रेम

                    लालीगुरांश   ( सिर्जना   भण्डारी ) न म केही बोल्छु न तिमी केही बोल्छौ तरपनि संवादमै छौं हामी चुपचाप निशव्दमा बहिरहेछ प्र...