Friday, 3 January 2025

तुम ही तुम हो हरतरफ !

                        लालीगुरांश  (सिर्जना भण्डारी)

आंखे बन्द करलुं तोभी

दृश्यमे तुम्ही आजाते हो
सांसे धिरेसे भरलुं तोभी
सासोंमे तुम्ही बैठजाते हो
दिलको मजबुतीसे थामलुं तोभी
जोडजोडसे तुम्ही धडकते हो
मनको कसके बाध्लुं तोभी
गाँठ तुम खोलदेते हो
तनको होससे सम्हाललुं तोभी

छुकर बेचैन करदेते हो
विचारोंको चुपकेसे दबालुं तोभी

कविता बनके आजाते हो
यादोंको समेटके छुपालुं तोभी
सपना बनके फैलादेते हो
भावोंको संजोके ढक्लुं तोभी
प्रेमके सुगन्धसे विखेरदेते हो
पलपल तुम्हे छुपालुं तोभी
हरतरफ तुमहीतुम नजरआते हो
पर जव आंखे खोलुंतो

सामने नजर नहींआते हो 

पर जव आंखे खोलुंतो
सामने नजर नहींआते हो ।।

 


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