Thursday, 26 September 2024

हमतो आपकेही होकर रहगए

              लालीगुरांश  (सिर्जना भण्डारी) 

तवभी आपके नशेमे थे
अव और ज्यादा चढ्गयी
झुमरहे है आपके नशेमे
अमृतसा प्रेमका  नशा
उतरताही नहीं हमारे हृदयसे
तव नशा हल्कासा चढाथा
अव और गहरा होगया 


 

आप कभि थक्तेही नहीं

प्रेमके अमृत वर्षाते रहेतेहै 
हमे नशा पिलातेरहेते है
हम नशेमे झुमतेरहेते है
अव होचुकीहै प्राण समान
उस चिजकी नशातो छुटगई
हमे प्रेमका नशा भागया 


 

हमे क्या खवर थी
आपसे यीत्नी मुहब्वत होजाएगी

दो हृदय एक होआजाएगी

नैनोमे प्रेमकी मधुशाला छलकजाएगी
आपकी तरफ इसतरह खिचलाएगी
हमेतो आपके नजर भागएथे
अवतो आपकेही होकर रहगए 

 


आप नैनोके रास्ते आएथे
हमारे हृदयके अन्दरतक बसगए

पहले तालाव नजर आएथे
हृदयमे गहरा सागर खोदगए
हमदोनो उस सागरमे डुबगए
इश्वरके उस शान्तिधाममे खोगए
प्रभुके रंगीन वातसल्यमे रमगए 

 

हमेतो आपके नजर भागएथे
अवतो आपकेही  होकर रहगए
इश्वरके उस शान्तिधाममे खोगए
प्रभुके रंगीन वातसल्यमे रमगए ।।


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