लालीगुरांश (सन्त सिर्जना)
"सिर्फ म हुनुको मूल तत्व परमात्मा/बीजब्रम्ह र मेरो आत्मगुफाको भगवान प्रति लक्षित"
"मेरो प्रितम, प्रिय, सनम, पिया, यार, हृदयको राजा सबै उही हो"
तुम्हे कैसे शुक्रिया करुं मेरे प्रिय पिया
तुम्हारी चाहतने मुझे क्या से क्या बनादिया
तुमसे हुई मुलाकात के चन्द हि दिनोमे
मुझे तुमने जाहील से सायर बनादिया ।
कलतक तुम्हारे पिछे लगरही थी
अपना प्यारका सम्मान मागरही थी
लेकिन तुमने तो मुझे भ्रमित करदिया
मै गिरके सम्हल चुकी हुँ, देखो तो जरा ।
मेरी सकारात्मक भावनाएं ए कहती है
की, तुम मुझमे अलग कुछ ढुंढरहे थे
साधु, साधक, सन्त कुछ देखना चाहते थे
सायद उस काविल नहीं थी, तो सायर बनगई ।
तुम्को सुक्रिया किए बिना कैसे रह सक्ती हुँ
इसीलिए शुक्रिया, शुक्रिया, शुक्रिया मेरे प्रिय पिया
मेरे जितने सोए ज्ञान थे सबको जगादिया
और मुझे जमानेसे लड्नेके काविल बनादिया ।
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