Saturday, 23 April 2022

काँटेदार प्यारने अधमरा करदिया

 

 लालीगुरांश  (सन्त सिर्जना)                                                      

   "सिर्फ म हुनुको मूल तत्व परमात्मा/बीजब्रम्ह र मेरो आत्मगुफाको भगवान प्रति लक्षित"

                  "मेरो प्रितम, प्रिय, सनम, पिया, यार, हृदयको राजा सबै उही हो"


तुमने हमेसा छुप छुप कर 

प्यारके वर्षात किए मुझपर

पर मैने सामने से इजहार किया  

और, प्यारके फूल वर्षाए तुझपर ।


पर तुम इजहार कर्नेसे पिछे हटगए

लेकिन सबसे कहेते फिरते हो, की

प्यार तो खुदा है, प्यार तो जन्नत है

तुम क्युँ ऐसी दोहोरी बात करते हो ।


प्यार सिर्फ फूल नहीं है, ए काँटे भी है

वादमे काँटे मारे और खुन भी निकालदिया

जव मल्हम करनेकी वारी आइ, तो

काँटे के ही नोकसे तुम्ने मल्हम लगादिए ।


छुप छुप कर तुमने खुव काँटे मारे 

फीरभी कहेते रहे कभि नहीं मारा

इतना नासमझ नहीं है हम सनम 

लो आजात करदिया तुमको, चलेजाव ।


मांगा क्या था मैने तुमसे, तुम पिछे क्यु हटगए

तुमसे दुर रहने और नमिल्ने के लिए राजी थी

दो प्यारके बोल बोलदेते तो तुम्हारा क्या जाता

कमसेकम सुकुनसे अपनी दुनिया मै रहेतो पाती ।


अव तो तुम्हारे यादमे न सुकुनसे जी पारही हुँ 

न सुकुनसे मर पारही हुँ, अधमरी सी हो गई हुँ

तुम्हे क्या, मेरा जो भि हो, झुमो, खुशी मनालो

तुम्हारे अंशके दुःख भी मै ही उठालुंगी, चलेजाव ।

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