लालीगुरांश (सिर्जना भण्डारी)
मिलेतो अजनवी थे तुम
पर अजनवी कभी लगानहीं
मुलाकात हुइ तुझसे जवसे
तवसे तुमसे ज्यादा प्यारा
और अपना कोही लगानहीं।
आँखोमे रहेते हो तुम 
हृदयमे समाए हो तुम
हरतरफ तुम हि तुम
तुम्हारी खुस्बु, तुम्हारी
बाते
सांसोमे तुम, यादोंमे तुम।
तुमको देखना अच्छा लगताहे
तुमको सुनना अच्छा लगताहे
तुम्हारी एहसास सुकुन देताहे
तुम्हारी यादोंमे डुब जातेहे
तुम्हे देखकर जी लेतेहे।
पाना तुमको आसान नहीं
नाचाहुँ तुम्हे मुम्कीन
नहीं
आँखे तुम्हेही ढुंडे हरवक्त
दिन तुम्हेही चाहे हरवक्त
चाहतकी कशिश जीनेनदेगी हमे।
तुम्हारी लगाव मेरी जिद्ध
तुम्हारी प्यास मेरी चाहत
मेरा प्यार तुम्हारी लगन
मेरा ख्वाब तुम्हारी कल्पना
एकदिन जरुर मिलाएगी हमे।
हां प्रियतम 
मेरा ख्वाब तुम्हारी कल्पना
एकदिन जरुर मिलाएगी हमे।।
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