लालीगुरांश (सिर्जना भण्डारी)
हमें क्षमा करना यारम
प्रेमके नशेमे है हम!
तुम्हारी प्रेमकी नशेमे
उतरकर
हदसे गुजररहे है हम!
तुम्हारी नैनोकी मदिरा पिकर
मदहोसीमे जिरहे है हम!
तुम्हारी बाहोकी गर्मीको
छुकर
तनमनसे पिघलरहे है हम!
तुम्हारी बदनकी खुस्बुको
सुंघकर
नशेमे डुबरहे है हम!
तुम्हारी बातोकी भूलभुलैयामे झुमकर
तुझमे खोरहे है हम!
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