Thursday, 21 April 2022

मेरी आत्माकी पुकार

              लालीगुरांश  (सन्त सिर्जना)

  "सिर्फ म हुनुको मूल तत्व परमात्मा/बीजब्रम्ह र मेरो आत्मगुफाको भगवान प्रति लक्षित"

                 "मेरो प्रितम, प्रिय, सनम, पिया, यार, हृदयको राजा सबै उही हो"


अध्यात्मके गहराईमे डुवादेनेवाले
हे मेरे भगवान !
मै यहि रास्तेसे आरही हुँ
कृपया, मेरा इन्तजार करना
हम हमारे आत्मगुफामे मिलेंगे ।

इस भौतिक संसारमे तो
एह सम्भव नही रहा
तुम भी तो जानते ही हो
ए जमाने..., ए रुसवाइ...
और ए सडेगले परम्पराएं।

क्या सोचीथी, क्या निकले तुम
सबकुछ पाकर भी ठुकरादिया
खुदको अजुवा बनालिया
और मैने फक्रसे तुमको
अपना शरका ताज बनालिया।

तुमको इतना चाहने लगी हुँ
की, खुदको पुरीतराहसे भूलगई
लेकिन तुमको नहि भूला पाई
तुम भि मुझे मत भूलादेना
कभी न कभी तो मिलेंगे जरुर।

तेरा इतना गहरा चाहतके आगे
मै अपनी हृदय हार वैठी
मै तो तुम्हारी हो चुकी हुँ
अव सिर्फ तुम्हारी होना है
और तुम्हारी ही वनके रहेना है सदा।

तुमसे मिल्ना तो मुम्कीन नहीं है
लेकिन तुमको सुन् तो सक्ती हुँ
मुझे इतना सुनाना-इतना सुनाना, की
मै खुद अपने आपमे नारहुँ
हरपल सिर्फ तुममे खोइरहुँ ।

इसलिए, हे मेरे भगवान !
मै सिर्फ तुमको सुन्ना चाहती हुँ
मै सिर्फ तुमको सुन्ना चाहती हुँ
मै सिर्फ तुमको सुन्ना चाहती हुँ
मै सिर्फ तुमको सुन्ना चाहती हुँ....... 💖💞

साभारः "अन्तरतमका नेह"

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