Saturday, 23 April 2022

प्यारका अनोखा सम्योग

                     लालीगुरांश  (सन्त सिर्जना- 2079-1-11//2022-4-24)

                        "सिर्फ म हुनुको मूल तत्व परमात्मा/बीजब्रम्ह र मेरो आत्मगुफाको भगवान प्रति लक्षित"

                                    "मेरो प्रितम, प्रिय, सनम, पिया, यार, हृदयको राजा सबै उही हो"


काश मेरी तरफ तुम देख पाते जानेवफा.....


नाचाहते हुए अपनी नामसे मीटरही हुँ मै

तेजीसे तुम्हारी तरफ खीचिजारही हुँ मै

ए जानेमन, इतना जुलम मतकरो मुझपर 

तुमसे मिल्नेको पलपल तड्पीजारही हुँ मै ।


बताउँ तुम्हे क्या मेरी मनकी हालत 

मुझे तेरी नासोची मुलाकात ने मारा 

मुलाकातकेवाद तेरी जुदाई ने मारा

इसके वाद अव मेरी हालात ने मारा ।


अन्जाने मे अपनी हस्ती मिटारही हुँ मैै

पलपल तुम्हारी रंगमे रंगती जारही हुँ मै

मै हररोज तुम्हारे यादमे डुवीरहती हुँ 

क्या तुम्हे भी पलभरकेलिए याद आरही हुँ मै ।


मुझे तुम सुन सको तो बढि मेहरबानी होगी

किस्सा ए मेरा गमका तुम्हे सुनारही हुँ मै

देख पाव तो मुझको देखभी लो तुम

ए कैसी विरह के सागरमे डुवीजारही हुँ मैै ।


मेरे जीन्दगीमे तुम एक तेज झोंखा हो

मेरा सुख चैन सब उडाके लेजारहे हो

हर मुहव्वत होती नही कुछ पानेके लिए

हर साँझ डुवता है चांदको जगानेके लिए ।


ऐसी तिर मारी तुम्ने हृदयके गहराइमे

दर्दसा है सिनेमे न जी, न मर पारही हुँ मै 

न तुम्हारी यादको दिलसे भूला पारही हुँ मै

न तुम्हारी सारी यादको समेट पारही हुँ मै।


कुछ मुझको खयालात से उम्मीद थी

लेकीन आए जो तुम्हारी खयालात तो

मुझे तेरी अनोखी खयालात ने मारा

उससे ज्यादा मुझे अपनी हालात ने मारा ।


ऐसी इस्क हर किसिको याद रहता है

ऐसे हादसे होते नहीं है भुलानेके लिए 

कुछ हादसे होते नहीं है पानेके लिए 

कुछ हादसे हम छोड्दे जमाने लिए ।


क्युकी, अव तुमतो मुझे समझने वाले नहीं हो................

No comments:

Post a Comment

चुपचाप लय मिलाइरहेछ प्रेम

                    लालीगुरांश   ( सिर्जना   भण्डारी ) न म केही बोल्छु न तिमी केही बोल्छौ तरपनि संवादमै छौं हामी चुपचाप निशव्दमा बहिरहेछ प्र...