लालीगुरांश (सिर्जना भण्डारी)
थकगयी मेरी कदम
तुम्हारी चाहतमें बढाते-बढाते
लेकिन दिल थकानहीं !
बुझगई नैनकी आस
तुमको बारबार ढुंढते-ढुंढते
लेकिन प्यास बुझिनहीं !
सुखगई मेरी आँशु 
तुम्हारे प्यारमे बहाते-बहाते
लेकिन नजर रुकीनहीं !
हारगई मेरी मन
तुमको वात सम्झाते-सम्झाते
लेकिन साहस हारानहीं !
खोगए हमारे सपने 
दुस्रोका भार ढोते-ढोते
लेकिन हिम्मत मरानहीं !
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