लालीगुरांश (सिर्जना भण्डारी)
इस्क खुदा है, इस्क इवादत है
इस्क आशमान है, इस्क जन्नत है
इस्क प्रकृति है, इस्क सायरी है
इस्क प्राण है, इस्क जीवन है
इस्क अदा है, इस्क फिदा है ।
उनका छुपछुपकर मुझे देख्ना इस्क है
उनका खिलखिलाके खुलके हँस्ना इस्क है
उनका मेरेलिए संगीत सुनाना इस्क है
उनका भावसे सायरी कर्ना इस्क है
उनका तिरछी सायराना अन्दाज इस्क है ।
उनका मन्दसे मुस्कुराना सायरी करती है
उनका धिरेसे चल्ना सायरी करती है
उनका चुपकेसे बोल्ना सायरी करती है
उनका छुपकेसे आना सायरी करती है
उनका हल्केसे छेड्ना सायरी करती है
उनका मजाकमे रुठ्ना सायरी करती है
उनका प्यारसे मनाना सायरी करती है।
वो सायर है इस्कका, मै सायरी
वो खुदा है इस्कका, मै पूजारन
वो जन्नत है इस्कका, मै परी
वो दिया है इस्कका, मै बाती
वो आत्मा है इस्कका, मै काया 
वो जिगर है इस्कका, मै धड्कन
वो प्रीत है इस्कका, मै प्रियतमा
वो प्यार है इस्कका, मै साया
वो विणा है इस्कका, मै तार
वो संगीत है इस्कका, मै झंकार ।
वो विणा है इस्कका, मै तार
वो संगीत है इस्कका, मै झंकार ।।
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